Wednesday, February 10, 2016

मेरे लेखन पर 10 सबसे बड़े आरोप

१. मेरे पास अच्छी भाषा व प्रस्तुति तो है, पर कहने को कुछ विशेष नहीं
२. मुझे गरीब व असहाय लोगों से हमदर्दी नहीं
३. मैं साहित्य में किसी स्थिति के सुधार के लिए काम करने को नहीं,अपने शौक के चलते हूँ
४. मुझे विचारधाराओं की गहनता से वास्ता नहीं, सभी विचारधाराओं से जुड़े कार्यक्रमों और लोगों में मेरा आना-जाना है
५. किसी भी बात का विरोध मेरे बस का नहीं
६. विधाओं के प्रतिमानों-मानदण्डों की मैंने लापरवाही से उपेक्षा की है
७. मैं अपनी कुछ चीज़ों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहयोग तक से तैयार हो जाता हूँ
८. मेरे मानस में सहयोग-सद्भावना-सकारात्मकता ज़रूरत से ज़्यादा है
९. मेरे लेखन-प्रकाशन में कंसिस्टेंसी नहीं है
१०. साहित्यिक आयोजनों में मैं ज़्यादा कहने में रूचि नहीं रखता, जिससे मेरे लेखन की कुछ बातें अनसुलझी रह जाती हैं।  

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