Tuesday, March 1, 2016

मित्रों में आयु का बड़ा अंतर होने के 10 कारण

१.मनुष्य को मनुष्य-मात्र समझने का व्यापक दृष्टिकोण होना।
२.अपनी उम्र के किसी विशेष दौर से लगाव रख कर उम्रभर उसी आयु के मित्र ढूंढना।
३.अपने पिता/माता/ दादी/दादा/अध्यापक आदि को अवचेतन में याद करके उनकी आयु के मित्र तलाश करना।
४. अवचेतन में बसे चेहरे,चाहे किसी भी आयु के हों, अपनाने की प्रवृति होना।
५.अपने से बड़ों के माध्यम से सुरक्षा या संरक्षा की तलाश करना।
६. अपने से छोटों के माध्यम से अपनी संरक्षा दे पाने की क्षमता का विदोहन करना।
७. अपने समान आयु के लोगों से प्रतिस्पर्धा महसूस करके उनसे बचने की प्रवृति होना।
८. अपने मानसिक और शारीरिक स्तर के बीच असंतुलन का होना।
९. अपने से कम उम्र के लोगों के लिए आकर्षण का अनुभव होना।
१०. स्वाधीन निर्णय-क्षमता के परीक्षण से अपना जोखिम-स्तर पोषित करना।          

Wednesday, February 24, 2016

10 और महत्वपूर्ण सम्मान/पुरस्कार जो मुझे मिले

कादंबरी, जबलपुर का "नर्मदा प्रसाद खरे कहानी पुरस्कार"
पूर्वांचल साहित्य परिषद, शिलांग,मेघालय का "लेखक शिविर सम्मान"
तुलसी मानस संस्थान, जयपुर का "असाधारण सृजनात्मक योगदान सम्मान"
राष्ट्रीय समता स्वतंत्र मंच का "समरसता स्वर्णपदक" सम्मान
साहित्यांचल, भीलवाड़ा का "वरिष्ठ साहित्यकार सम्मान"
साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा का  "हिंदी भाषा भूषण सम्मान"
बाल वाटिका,भीलवाड़ा का "बालसाहित्यकार सम्मान"
साहित्य परिषद, बीकानेर का "शुक्ल पुरस्कार"
साहित्य संगम, इंदौर  का "अखिल भारतीय लघुकथा प्रथम पुरस्कार"
कहानी लेखन महाविद्यालय,अम्बाला का "साहित्यकार सम्मान"     

10 और महत्वपूर्ण सम्मान/पुरस्कार जो मुझे मिले

अंतर राष्ट्रीय समरसता मंच का "समरसता रत्न सम्मान"
विंध्य न्यूज़ नेटवर्क,वाराणसी का "जीवन पर्यन्त सृजन सम्मान"
जवाहर कला केंद्र, जयपुर का "लघु नाट्यलेखन पुरस्कार"
बालप्रहरी, अल्मोड़ा का "साहित्य श्री सम्मान"
अखिल भारतीय राष्ट्रभाषा विकास संगठन, गाज़ियाबाद का "राष्ट्रभाषा संरक्षक सम्मान"
साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी, प्रतापगढ़ का "हिंदी गरिमा सम्मान"
दिल्ली प्रेस "कहानी प्रतियोगिता पुरस्कार"
जर्नलिस्ट वेलफेयर फ़ाउन्डेशन, नई दिल्ली का अखिल भारतीय "नेहरू और भारत" निबंध पुरस्कार
आधारशिला, विश्व हिंदी मिशन का "हिंदी भूषण सम्मान"
राष्ट्रीय साहित्य कला एवं संस्कृति परिषद, हल्दीघाटी, राजसमन्द का "रवीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रीय पुरस्कार"      

10 और महत्वपूर्ण सम्मान/पुरस्कार जो मुझे मिले

"अभियान" जबलपुर का "सर्वश्रेष्ठ उपन्यास का पुरस्कार"
"दिव्य रजत अलंकरण", भोपाल का सम्मान
जैमिनी अकादमी हरियाणा का "सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान"
"महात्मा गांधी शांति व अहिंसा सम्मान",महात्मा फुले रिसर्च अकादमी, नागपुर
"बाबा साहेब आंबेडकर साहित्य रत्न सम्मान", इंदौर
साहित्य संगम उदयपुर का "साहित्य दिवाकर सम्मान"
साहित्यकार समिति मथुरा का "मैथिली शरण गुप्त सम्मान"
मांडवी प्रकाशन गाज़ियाबाद का "निर्मला देवी साहित्य स्मृति पुरस्कार"
साहित्यकार कल्याण संस्थान, रायबरेली का "आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान"
पुष्पगन्धा प्रकाशन ,छत्तीसगढ़ का "सर्वोच्च साहित्य रत्न सम्मान"    

Tuesday, February 16, 2016

ये मित्र 10 तरह के !

१. जो फेसबुक के माध्यम से अपनी पुस्तकों/रचनाओं/उपलब्धियों/कार्यक्रमों की जानकारी दे देते हैं और इस तरह कई पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ कर जो बात पता चले, वे मिनटों में उससे अवगत करा देते हैं।
२. जो फेसबुक के माध्यम से घर-परिवार की गतिविधियों की झलक दिखा देते हैं।
३. जो फेसबुक के माध्यम से समाज के उपयोगी/भले/सार्थक/मेहनती/निर्बल/निस्वार्थी लोगों के बारे में बता देते हैं।
४. जो फेसबुक के माध्यम से आपके भेजे चित्रों/संदेशों/समाचारों पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ भेजते हैं।
५. जो फेसबुक के माध्यम से आपके द्वारा की गयी टिप्पणियों के सार्थक और उपयोगी जवाब देते हैं।
६. जो फेसबुक के माध्यम से जटिल वैज्ञानिक व तकनीकी विषयों को सरल बना कर आपके लिए प्रस्तुत कर देते हैं।
७. जो फेसबुक के माध्यम से देश-विदेश के महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी आकर्षक छायाचित्रों के माध्यम से आप तक पहुंचाते हैं।
८. जो फेसबुक के माध्यम से अपना मित्रता सन्देश आप तक पहुंचाते हैं।
९. जो फेसबुक के माध्यम से आपके द्वारा भेजे गए मित्रता सन्देश को स्वीकार कर आपसे मैत्री की सार्थक पहल करते हैं।
१०. जो फेसबुक के माध्यम से "गुडमोर्निंग/गूडनून/गुडआफ़्टरनून/कैसे हैं/क्या कर रहे हैं/नाराज़ हैं क्या?"  कहते रहते हैं और उनके अलावा और किसी से भी बात करने को समय खराब करना मानते हैं,वे आपको टैग करते हैं/आपको खेलने के आमंत्रण देते हैं और फेसबुक को "खाली समय बिताने का साधन" मानते हैं।           

Monday, February 15, 2016

10 प्रमुख कारण - लगातार न लिख पाने के

१. कभी ऐसा जीवन मिला कि इस बात पर तो लिखा जाए, कभी ऐसा, कि छोड़ो क्या लिखना !
२. कभी ऐसे महानगरों में रहना पड़ा कि खाने को समय न मिले, कभी ऐसे गाँव में, कि लोग एक मिनट के लिए भी अकेला न छोड़ें।
३. कुछ ऐसे साहित्यकार मिले, जिन्हें देख कर लगा कि इनका दर्द अधूरा है, चलो पूरा करें। कुछ ऐसे मिले, कि जिन्हें देख कर लगे- डकार के बाद भी क्या खाना?
४. कुछ ऐसे दफ्तर मिले, कि प्रकाशक मेज के सामने आकर पूछें- अब क्या लिख रहे हैं? कुछ ऐसे पतों पर भी रहना पड़ा कि वहां से किसी प्रकाशक को चिट्ठी लिखो तो वो जवाब ही न दे।
५. उम्र के उतार- चढ़ाव के साथ कभी घर में रोज़ रात को कहानी सुनाने की ज़िद करने वाले बच्चे, तो कभी उनकी पुराने खिलौनों से अटी बंद अलमारियां।
६. गिरगिट सा रंग बदलता वक़्त- कभी किसी पत्रिका में संपादक के नाम छपी अपनी चिट्ठी बार-बार पढ़ने के बाद संपादक का नाम खोजने को जी चाहे, तो कभी उसी पत्रिका में हर बार मुखपृष्ठ पर संपादक जी की खुद की छवि देख कर पैन की स्याही ही सूख जाये।
७. कभी देश में ऐसी सत्ता कि रोज़ क्रिया-प्रतिक्रिया के लिए कलम उठ जाये, कभी ऐसी कि छोड़ो -भैंस के आगे बीन क्या बजाना ?
८. वैश्वीकरण की तेज़ आंधी में मान्यताओं और मूल्यों का रोज़ बदलना।
९. लिखने वालों के समाज-स्वीकार में तिरछी नज़र आना।
१०. तकनीक की बौछारों में अपना ग्रीनरूम सार्वजनिक हो जाना।             
   
      

Thursday, February 11, 2016

मुझे मिले 10 महत्वपूर्ण पुरस्कार / सम्मान

१. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का "सूर" पुरस्कार [ लखनऊ, उत्तर प्रदेश ]
२. वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का "श्रेष्ठ हिंदी पुस्तक" पुरस्कार[नई  दिल्ली]
३. महाराष्ट्र दलित साहित्य अकादमी का "प्रेमचंद सम्मान"[भुसावल, महाराष्ट्र ]
४. अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच का "सरस्वती सम्मान"[ नई दिल्ली]
५. राजस्थान पत्रिका का "प्रथम सृजनात्मक कहानी लेखन पुरस्कार"[ जयपुर, राजस्थान ]
६. अखिल भारतीय साहित्य परिषद का "सरोजिनी कुलश्रेष्ठ (कहानी) पुरस्कार [जयपुर, राजस्थान ]
७. अक्षरधाम समिति, हरियाणा का "अक्षर भूषण सम्मान"[लुधियाना, पंजाब ]
८. सृजनगाथा डॉटकॉम का अखिलभारतीय कहानी लेखन पुरस्कार [पोखरा, नेपाल]
९. हम सब साथ साथ का "लाइफ़ टाइम अचीवमेंट सम्मान"[नई दिल्ली]
१०. महात्मा ज्योतिबा फुले रिसर्च अकादमी का "रवींद्रनाथ टैगोर सम्मान"[नागपुर, महाराष्ट्र ]  

Wednesday, February 10, 2016

मेरे लेखन पर 10 सबसे बड़े आरोप

१. मेरे पास अच्छी भाषा व प्रस्तुति तो है, पर कहने को कुछ विशेष नहीं
२. मुझे गरीब व असहाय लोगों से हमदर्दी नहीं
३. मैं साहित्य में किसी स्थिति के सुधार के लिए काम करने को नहीं,अपने शौक के चलते हूँ
४. मुझे विचारधाराओं की गहनता से वास्ता नहीं, सभी विचारधाराओं से जुड़े कार्यक्रमों और लोगों में मेरा आना-जाना है
५. किसी भी बात का विरोध मेरे बस का नहीं
६. विधाओं के प्रतिमानों-मानदण्डों की मैंने लापरवाही से उपेक्षा की है
७. मैं अपनी कुछ चीज़ों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहयोग तक से तैयार हो जाता हूँ
८. मेरे मानस में सहयोग-सद्भावना-सकारात्मकता ज़रूरत से ज़्यादा है
९. मेरे लेखन-प्रकाशन में कंसिस्टेंसी नहीं है
१०. साहित्यिक आयोजनों में मैं ज़्यादा कहने में रूचि नहीं रखता, जिससे मेरे लेखन की कुछ बातें अनसुलझी रह जाती हैं।  

Wednesday, January 27, 2016

10 किस्में मेरे फेसबुक मित्रों की

1. जिनसे खून का रिश्ता है
2. जिनसे रिश्तेदारी है
3. जो मेरे साथ कहीं भी पढ़े हैं अथवा मुझसे पढ़े हैं,या फिर मैं उनसे पढ़ा हूँ
4. जिन्होंने मेरे साथ कहीं भी नौकरी की है
5. वे साहित्यकार/कवि जिनकी रचनाएँ मैं पसंद करता हूँ
6. वे पाठक जो मेरा लिखा हुआ पसंद करते हैं
7. वे मित्रों के मित्र जिनके काम/गतिविधियाँ मैंने पसंद किये हैं
8. वे लोग जिन्होंने मेरे कार्य/विचार/गतिविधियाँ पसंद की हैं
9. वे लोग जिन्होंने मेरी तस्वीर देख कर ही मित्रता-सन्देश भेजा है
और
10. बहुत थोड़े से वे भी, जिनकी छवि देख कर मैंने...मुझे नहीं पता कि वे कहाँ रहते हैं, क्या करते हैं, उनकी उम्र क्या है, या "वे" वास्तव में वे हैं भी जो दिख रहे हैं,केवल उनकी छवि मेरी मित्र है।  [ग़ालिब को याद करते हुए-"हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है"]          

Wednesday, January 6, 2016

10 बातें जो बहुत ऊबने पर मन में आती हैं

 १. यदि खड़े हैं तो बैठ जाएँ, बैठे हैं तो लेट जाएँ, लेटे हैं तो खड़े हो जाएँ।
२. कुछ खाएं।
३. किसी भी दिन का पुराना अख़बार उठा कर पलटें।
४. आइने के सामने आ जाएँ।
५. किसी मित्र को फोन करें।
६. किसी भी स्रोत से पानी को देखें।
७. कैलेंडर उठा कर किसी भी बीते दिन पर नज़र गढ़ा दें और सोचें कि  उस दिन क्या हुआ था?
८. सोचें कि ऊबने से ठीक पहले आप क्या कर रहे थे।
९. अपने कपड़ों में जो भी सबसे पुराना पाएं, उसे किसी को दे देने की सोचें।
१०. हथेलियों से आँखों को मलें।     

Friday, January 1, 2016

वर्ष 2016 से वांछित 10 बातें [केवल अपने लिए]

१. इस साल भारत के वे राज्य घूमने को मिलें, जो अब तक देखने से रह गए हैं-त्रिपुरा,मणिपुर,अरुणाचल प्रदेश,मिज़ोरम और नागालैंड
२. मेरा उपन्यास "हलक में लहरें" पूरा होकर प्रकाशित हो
३. अपने उन कुछ मित्रों का एक सम्मलेन आयोजित किया जा सके जो मानस को प्रभावित करते रहे हैं
४. किसी अनजान गाँव में कुछ दिन रह कर अपना उपन्यास पूरा करने का अवसर मिले
५. किसी अख़बार या पत्रिका में संस्मरणात्मक कॉलम लिखने की चाहत पूरी हो
६. समाज के लिए ज़रूरी कुछ विषयों पर युवा-व्याख्याताओं को प्रशिक्षित करने का काम पूरा हो
७. कुछ लोगों को दिल से सम्मानित करने की चाहत
८. धार्मिक स्थलों पर अव्यवस्थित जीवन बिता रहे संन्यासियों पर शोध पुस्तक युवाओं के माध्यम से तैयार करवाने का काम पूरा हो
९. राजनैतिक दलों की "विचारधारा" ढूंढने के लिए युवाओं का प्रशिक्षण दल तैयार करना, और उन पर लघु-पुस्तिकाएं तैयार करवाने का काम
१०. एक ऐसी मित्र मण्डली तैयार करना जिसमें इसी वर्ष परिचय में आये लोग शामिल हों